Wednesday 15 August 2012

मित्रों आज आजादी के इस पावन अवसर पर मेरी कविता " फरियाद " प्रस्तुत है .यह कविता उन लोगों की ललकार है जो आज भी आजाद न होकर गुलामी का जीवन जी रहे हैं...................................................

 
                                                             फरियाद
       आजादी के इस पावन अवसर पर
       आइए सुनते हैं इनकी फरियाद
      चीख-चीखकर ये भी कह रहे हैं
       आखिर हम हैं कितने आजाद

       पहली बारी उस मासूम लड़के की
       जो भुखमरी से ग्रस्त होकर
      न जाने हररोज कितने अपराध कर ड़ालता है

       दूसरी बारी उस अबला नारी की
     जो आए दिन दहेज़ के लोभियों द्वारा
       सरेआम दहन कर दी जाती है

       तीसरी बारी उस बच्चे की 
    जो शिक्षा के अधिकार से वंचित
  अज्ञानता के गर्त में गिरा दिया जाता है

     चौथी बारी उस बुजुर्ग की
  जो अपने ही घर से वंचित होकर
 वृद्धा आश्रम में धकेल दिया जाता है

    पाँचवीं बारी उस मजदूर की
   जो ठेकेदार की तानाशाही से
    ताउम्र गरीबी झेलता है

   छठी बारी उस जनता की
 जो नेताओं की दादागिरी के कारण
  मँहगाई की मार सहती है

तो आओ,हम सब इनकी फरियाद सुनकर
      एक मुहिम चलाएँ
सही मायनों में आजादी का अधिकार
       इन्हें दिलाएं

3 comments:

  1. BAHUT SUNDAR KAVITA.. AAPKI FARIYAD EK NAYE BHAVISHYA KE LIYE HAI.. BAHUT ACHHA LIKHTI HAIN AAP

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  2. इन सबकी फरियाद सुननी ही चाहिये ,पर अफसोस हम ही लोग सुनकर भी अनसुना कर देते हैं और यह सिलसिला चलता रहता है।


    सादर
    ‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है

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  3. सबकी फरियाद सुननी चाहिये

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